नागरिकता – Citizenship
- नागरिक किसी देश में निवास करने वाले ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें विशेष सामाजिक , आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकार प्राप्त होते हैं |
- यह किसी राज्य व देश की पूर्ण सदस्य होते हैं तथा उस देश के संविधान and संस्थाओं के सूत्र भी होते हैं |
- अतः नागरिक का महत्व किसी विदेशी की तुलना में अधिक होता है |
संविधान के भाग 2 में – अनुच्छेद 5 से 11 के मध्य पांच प्रकार की नागरिकता का उल्लेख है –
- ब्रिटेन से प्रेरित नागरिकता का स्वरूप अपनाया गया |
- अमेरिका में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है |
- ब्रिटेन में एकल नागरिकता का प्रावधान है |
- अपवाद के रूप में जम्मू कश्मीर में दोहरी नागरिकता को मान्यता दी गई है संसद द्वारा सर्वप्रथम 1955 में नागरिकता संबंधी कानून पारित किया गया |
- नागरिकता कानून में संशोधन (1986, 1992, 2005 ) जून 2015 में किया गया |
- सांसद द्वारा अनुच्छेद 11 के अंतर्गत सर्वप्रथम नागरिकता संबंधी प्रावधान 1955 में बनाया गया जिसमें पांच प्रकार की नागरिकता का उल्लेख मिलता है |
जन्म से –
- 26 जनवरी 1950 को उसके बाद भारत में जन्मा व्यक्ति भारत की नागरिक होगा |
- यदि किसी व्यक्ति का जन्म 3 दिसंबर 2004 के बाद में हुआ है तो उसी दशा में नागरिक माना जाएगा | यदि उसके माता-पिता दोनों भारतीय नागरिक हूं |
- ध्यान रहे कि – भारत में विदेशी राजनयिक एवं शत्रु देश के बच्चों को भारत की नागरिकता का अधिकार नहीं है |
वंश से –
- यदि किसी व्यक्ति का जन्म 26 जनवरी 1950 को , उसके बाद (10 दिसंबर 1992 से पूर्व) भारत के बाहर हुआ हुआ हो तब वह भारत का नागरिक हो सकता है |
- यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भी भारत का नागरिक(Citizenship) हो |
- 3 दिसंबर 2004 के बाद भारत के बाहर जन्म कोई व्यक्ति वंश के आधार पर तभी नागरिक बन सकता है | यदि उसके जन्म के 1 वर्ष के भीतर भारतीय अंशु लेट में उसके जन्म का पंजीकरण करा दिया गया हो |
पंजीकरण –
- इसके द्वारा अधिकृत प्राधिकारी के पास आवेदन करके नागरिकता प्राप्त की जा सकती है |
- यदि भारत में 7 वर्ष तक रह चुका है या भारतीय नागरिक से विवाह किया हो तथा 7 वर्ष भारत में रहा हो |
- राष्ट्रमंडल देश के नागरिक और भारतीय नागरिकों के वयस्क बच्चे भी इस श्रेणी में नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं |
- रोचक बात यह है कि – भारत में कोई भी नागरिक चाहे जिस प्रकार से नागरिकता प्राप्त किया हो पर उसको सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं |

देसीकरण –
- इस विधि के अंतर्गत कोई विदेशी व्यक्ति जो वयस्क और 10 वर्ष से भारत में रह रहा है देसी करण का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है |
भूमि के विलय द्वारा –
- इस विधि में यदि किसी भारतीय राज्य का विलय भारत संघ ने किया जाता है तब उसे स्वता भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है |
- जैसे 1961 में गोवा का भारत में विलय होने पर सदा नागरिकता मिली |
भारतीय नागरिकों को विदेशी नागरिकों की तुलना में कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त हैं –
- जैसे – लोक नियोजन के विषय में क्षमता ( अनुच्छेद 16) |
- स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19 ) |
- संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29 , 30 ) |
- मताधिकार एवं चुनाव लड़ने का अधिकार |
- संवैधानिक पदों पर केवल भारतीय नागरिक ही नियुक्त या निर्वाचित किए जा सकते हैं |
रोचक है कि –
- भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू कश्मीर राज्य में स्थाई निवास तथा संपत्ति का अर्जन नहीं कर सकते |
- भारत में नागरिकता(Citizenship) का एकल सिद्धांत राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाने तथा क्षेत्रीय था क्षेत्रीय था की भावना को कम करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण है |

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal)
असम में अलग क्या है – असम का मामला –
- अवैध आव्रजन के खिलाफ “असम आंदोलन” ने अंततः 1985 के ऐतिहासिक असम समझौते का नेतृत्व किया, जो आंदोलन के नेताओं और राजीव गांधी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित था।
- तदनुसार, 1986 में नागरिकता(Citizenship) अधिनियम में संशोधन ने असम के संबंध में नागरिकों की एक विशेष श्रेणी बनाई।
- इस अंतरिम अवधि के दौरान, उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होगा, लेकिन वे भारतीय पासपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं।
- नया खंड 6 ए जोड़ा गया है कि 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले भारतीय मूल के सभी व्यक्तियों को आम निवासियों और भारतीय नागरिकों के रूप में माना जाएगा।
- जो लोग 1 जनवरी, 1966 के बाद सामान्य निवासी बने रहते हैं, लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले, उन्हें विदेशियों के रूप में अपनी पहचान से 10 साल के अंत में नागरिकता मिल जाएगी।
असम में विदेशी –
- गैरकानूनी प्रवासियों (ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारण) अधिनियम, (IMDT अधिनियम), 1983 के तहत विदेशियों की पहचान की जानी थी, जो केवल असम में लागू था, जबकि विदेशी अधिनियम, 1946 देश के बाकी हिस्सों में लागू था।
- आईएमडीटी अधिनियम के प्रावधानों ने अवैध प्रवासियों को निर्वासित करना मुश्किल बना दिया।
- सर्बानंद सोनोवाल (वर्तमान मुख्यमंत्री) की याचिका पर, अधिनियम को असंवैधानिक घोषित किया गया और 2005 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया।
- अंततः इसे विदेशियों (असम के अधिकरण) आदेश, 2006 के साथ बदल दिया गया, जो 2007 में सोनोवाल II सरकार में फिर से अटक गया था।
- आई.एम.डी.टी (IMDT) मामले में, अदालत ने भौगोलिक विचारों के आधार पर वर्गीकरण को अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन माना था। वास्तव में, पहले से ही इस तरह की एक और विविधता थी।