संविधान की प्रस्तावना (Preamble to the Constitution)
- संविधान की प्रस्तावना (Preamble to the Constitution) संविधान विशेषज्ञों का मत है – कि यदि संविधान का सार तत्व(Essence) समझना है वह हो तब प्रस्तावना को पढ़ लिया जाए |
- प्रस्तावना का प्रारंभ “हम भारत के लोग” से होता है जिसका अर्थ है – सर्वोच्च प्राधिकार या प्रभुसत्ता भारत की जनता में निहित है |
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य – में सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना को संविधान का अंग माना | 1976 में 42 में संशोधन द्वारा इसमें – “समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, अखंडता” शब्द जोड़े गए |
- याद रखें – की प्रस्तावना महत्वपूर्ण होते हुए भी संविधान की आत्मा नहीं है अधिकांश विधि शास्त्री मूल अधिकार को संविधान की आत्मा मानते हैं |
- प्रस्तावना(Preamble) – “हम भारत के लोग” भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न ,समाजवादी, धर्मनिरपेक्षता लोकतंत्रात्मक, गणराज्य ,बनाने के लिए |
- तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय ,विचार , अभिव्यक्ति , विश्वास ,धर्म , और उपासना की स्वतंत्रता , प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए
- तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुत्व बढ़ाने के लिए |
- Preamble to the Constitution का सबसे सम्मानित भाग है। यह संविधान की आत्मा है। यह संविधान की कुंजी है। यह संविधान का आभूषण है। यह एक उचित स्थान है जहां से कोई भी संविधान का मूल्यांकन कर सकता है।
एक्सप्लेनेशन (Expedition) –संविधान की प्रस्तावना (Preamble to the Constitution)
- गोलकनाथ V/S पंजाब राज्य केस में न्यायमूर्ति हिदायतुल्लाह ने प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा था |
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संविधान की आत्मा मूल अधिकार (अनुच्छेद 32) को मानते हैं यही तर्कसंगत भी है |
- प्रस्तावना को न्यायालय में प्रवर्तित(Enforce) नहीं कराया जा सकता किंतु यह संविधान की व्याख्या में सहायक है |
- के. एम. मुंशी के अनुसार – प्रस्तावना हमारे लोकतंत्रात्मक गणराज्य की जन्मकुंडली है |
- संविधान विशेषज्ञ नाना पालकीवाला ने कहा है कि प्रस्तावना या उद्देशिका भारतीय संविधान का परिचय पत्र है |

अंतरिम मंत्रिमंडल (2 सितंबर 1946 को नेहरू के नेतृत्व में गठित) –
- लॉर्ड माउंटबेटन – अध्यक्ष |
- जवाहरलाल नेहरू – कार्यकारी परिषद में उपाध्यक्ष विदेशी मामले तथा राष्ट्रमंडल |
- बल्लभ भाई पटेल – गृहमंत्री सूचना तथा प्रसारण
- जॉन मथाई – उद्योग तथा आपूर्ति |
- बलदेव सिंह – रक्षा |
- सी राजगोपालाचारी – शिक्षा
- सी. एच. भाभा – कार्य , खान तथा बंदरगाह |
- राजेंद्र प्रसाद – खाद्य एवं कृषि |
- आसिफ अली – रेलवे |
- जगजीवन राम – श्रमिक |
- लिकआयत अली खान – वित्त मंत्री ( लीग) |
- आई. आई. चुनरी – वाणिज्य ( लीग) |
- अब्दुल रब निस्तार – संचार ( लीग) |
- जोगेंद्र नाथ मंडल – विधि (मुस्लिम लीग) |
- गजना अली खान – स्वास्थ्य (मुस्लिम लीग ) |


संघ एवं राज्य (Union and its Territory) –
- भारतीय संविधान के भाग 1 – में अनुच्छेद 1 से 4 के बीच देश के नाम एवं संघ , राज्य से जुड़े प्रावधान दिए गए हैं |
- नए राज्यों के निर्माण व उनकी सीमाओं में परिवर्तन से जुड़ी शक्ति सांसद को (अनुच्छेद 3 )दी गई |
- अनुच्छेद 1 में कहा गया है – कि “Indian that is Bharat shall be Union of states “ अर्थात भारत राज्यों का संघ है |
- भारत में संघ एवं राज्य दोनों का सृजन एवं सीमाएं संविधान द्वारा नियंत्रित एवं निश्चित की गई है |
- संविधान की पहली अनुसूची में संघ एवं राज्यों का विवरण दिया गया है |
आजादी के बाद भारतीय राज्यों का पुनर्गठन एक गंभीर चुनौती थी –
- स्वतंत्र देसी रियासतों(552) के विलय का प्रश्न भी जटिल था |
- हैदराबाद (ऑपरेशन पोलो द्वारा विलय) |
- जूनागढ़ (सर्वप्रथम जनमत संग्रह द्वारा विलय) तथा जम्मू-कश्मीर का विलय चुनौतीपूर्ण कार्य था |
- इन रियासतों का विलय सरदार पटेल ने “रक्त एवं लौह” की नीति द्वारा किया |
- काश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान द्वारा हमले की परिस्थिति में “राजा हरि सिंह” द्वारा 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर का विलय भारत में किया |
- राज्यों के पुनर्गठन हेतु कई महत्वपूर्ण आयोग गठित किए गए |
धर आयोग – इसने भारतीय राज्यों का पुनर्गठन “भाषाई आधार” के बजाय प्रशासनिक सुविधा के अनुसार करने की सिफारिश की तथा इसकी सिफारिशों पर विचार करने के लिए जी.बी.पी समिति (जवाहर , वल्लभभाई पटेल सीता रमैया) गठित हुई |
- इसने भी भाषाई आधार को अस्वीकृत कर दिया गया |
रोचक है कि –
- 1953 “तेलुगू भाषी” आंध्र प्रदेश में आंदोलन के दौरान श्री रामल्ला की आमरण अनशन से मौत होने के बाद अंततः भाषा के आधार पर आंध्र प्रदेश का सर्वप्रथम गठन (1953) में किया गया |
- 1953 में फसजल अली आयोग की सिफारिश पर राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956) पारित किया गया तथा चार श्रेणियों (ABCD) का समाप्त कर 14 राज्यों 5 केंद्र शासित प्रदेशों को गठन किया गया |
- 1956 के बाद भी संसद द्वारा समय-समय पर नए राज्य संघ शासित क्षेत्रों का निर्माण किया जा रहा है |
अभी भी अनेक राज्यों में नए राज्यों के निर्माण की मांग जारी है – जैसे –
- बुंदेलखंड पूर्वांचल
- महाराष्ट्र में विदर्भ
- पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड
- कर्नाटक में कोडू
- उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश
समय-समय पर संसद द्वारा किए गए संविधान संशोधन के द्वारा नए राज्यों के निर्माण हुए तथा उनकी सीमाओं एवं नामों में भी परिवर्तन किया गया |

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