Relevance of One Country, One Election

भारत चुनावों का देश है:- Relevance of One Country, One Election

  • भौगोलिक विस्तार और बहुदलीय संसदीय प्रणाली की दृष्टि से हम इतने बड़े हैं कि यहां चुनावी मौसम हावी रहता है।
  • चुनाव से लोकतंत्र मजबूत होता है. लोकसभा, सभी राज्यों की विधानसभाओं और स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत और नगर निकायों पर ध्यान दें तो भारत का कोई न कोई हिस्सा चुनावी मैदान बनता है। इसमें कोई संदेह नहीं है
  • भारत धीरे-धीरे सुशासन की ओर बढ़ चुका है लेकिन इसमें और तेजी लाने की जरूरत है।
  • अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही अलग-अलग राज्यों में चुनाव कराए जाएं तो भारत को एकमुश्त कई फायदे मिल सकते हैं. इस अवधारणा को ‘एक देश, एक चुनाव’ की संज्ञा दी गई है। वस्तुतः परिवर्तन ही संसार का नियम है।
  • परिवर्तन के अतिरिक्त कुछ भी स्थिर नहीं है। चाहे कोई व्यक्ति हो, व्यवस्था हो, समाज हो या देश; वांछित लक्ष्य हासिल करने के लिए हर किसी को बदलाव से गुजरना पड़ता है।

एक देश, एक चुनाव आज समय की मांग बन गयी है। Relevance of One Country, One Election

  • केंद्र-राज्य के बीच उचित समन्वय में भी कमी आएगी. अगर केंद्र में लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हो जाएं तो भारत कई तरह की बर्बादी से बच जाएगा. “अगर बार-बार चुनावों के कारण सरकारी खजाने पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को कम करके विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जाता है, तो इसमें गलत क्या है!” अगर भारत को विकासशील से विकसित देश की राह पर तेजी से आगे बढ़ना है तो कई सुधार लाने होंगे।

उदारीकरण

  • निजीकरण-वैश्वीकरण, औद्योगिक नीति, शिक्षा नीति, स्वास्थ्य नीति, अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण, जीएसटी और इन्हीं जैसे अनेकों बेहतरीन रिफॉर्म्स का भारत साक्षी रहा है। यदि एक देश, एक चुनाव को अमलीजामा पहनाया जाता है तो भारत के विकास की गति और तेज़ होगी।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव : Relevance of One Country, One Election

  • करीब एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 25 लाख कर्मचारी-अधिकारी और लाखों पुलिस एवं पैरामिलिट्री के जवान महीनों तक व्यस्त रहेंगे। परिणामस्वरूप प्रशासनिक तारतम्यता टूटेगी।
  • केंद्र-राज्य के उचित समन्वय में भी कमी आएगी। यदि केंद्र के लोकसभा चुनाव और तमाम राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे तो भारत को कई प्रकार के अपव्यय से बचाया जा सकेगा।
  • ऐसा नहीं है कि एक देश एक चुनाव की अवधारणा भारत में नई है, दरअसल वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ संपन्न हुए थे। वर्ष 1968-69 में कुछ राज्यों की विधानसभाएँ समय से पहले भंग हो गईं। 
  • रअसल लगातार चुनाव के कारण ‘चुनाव आचार संहिता’ लागू होती रहती है, जिससे विकास के अनेक कार्य बाधित होते हैं। चुनाव होते रहने के चलते राजनीतिक दल हमेशा चुनावी मुद्रा में बने रहते हैं और राष्ट्र हित के विषयों पर कम ध्यान देते हैं।
  • भारत में एक देश एक चुनाव का रास्ता संविधान के अनुच्छेद-83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन से गुज़रेगा। इसके अलावा अनुच्छेद-368 के तहत आधे से ज़्यादा राज्यों की सहमति भी चाहिये।
  • एक देश एक चुनाव की चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। एक देश-एक चुनाव में यह विषय भी गंभीर है कि एक साथ सारे चुनावों के चलते अथवा राष्ट्रीय स्तर के किसी करिश्माई व्यक्तित्व के प्रभाव में अथवा राष्ट्रीय मुद्दों की लहर में राज्यों की जनता अपने स्थानीय मुद्दों और उनके लियेसंघर्षरत दलों के साथ न्याय करने से वंचित तो नहीं रह जाएगी? 
  • क्योंकि इससे वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति कमज़ोर होगी, विकास के मुद्दे को बल मिलेगा, राष्ट्र हित मुख्य मुद्दा बनेगा, मतदाता पहले से ज़्यादा सक्रिय होंगे क्योंकि उन्हें पाँच साल में केवल एक बार ही वोट डालने का अवसर मिलेगा। दरअसल जब एक साथ लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव होंगे तब राज्य सरकारें वित्तीय बदहाली का शिकार होने से बचेंगी। 

Main Bharat Hoon- Hum Bharat Ke Matdata Hain | ECI Song | NVD 2024 | Multilingual Version

Relevance of One Country, One Election

Training film on “EVM and VVPAT”

General Elections to the Legislative Assemblies of

  • Chhattisgarh
  • Madhya Pradesh
  • Mizoram
  • Rajasthan

Telangana and bye election in 43-Tapi(ST) Assembly Constituency of Nagaland – Exit Poll – regarding.

Leave a Comment