Subordinate Courts in India
- भारत में उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों से नीचे के न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालय (सबोर्डिनेट कोर्ट) कहा जाता है कि न्यायालयों पर राज्य के उच्च न्यायालय हाई कोर्ट का नियंत्रण होता है |
- अधीनस्थ न्यायालय को जिला न्यायालय भी कहा जाता है इसके द्वारा मूल अधिकारों की रक्षा नहीं की जाती ना ही इसके द्वारा संविधान की व्याख्या की जाती है |
- न्यायालय के दो भागों दीवानी न्यायालय तथा आपराधिक न्यायालय क्रिमिनल कोर्ट में बांटा गया है जिला न्यायालय ट्रायल कोर्ट होते हैं |
- जिला न्यायालय का प्रधान जिला जज होता है यह दांडी मामलों में किसी भी व्यक्ति को मृत्यु दंड दे सकता है |
- जिला न्यायाधीश जब आपराधिक मामलों पर विचार करता है तो उसे सत्र न्यायाधीश सेशन जज कहा जाता है |
- सिविल मामलों पर विचार करते समय वह जिला न्यायाधीश डिस्ट्रिक्ट जज कहलाता है इस कारण इसी जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी कहते हैं सामान्यतः प्रत्येक जिले में एक जिला न्यायालय होता है |
न्यायाधीशों की नियुक्ति –
- न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय की सलाह से की जाती है इसमें जिला न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय एवं राज्य लोक सेवा आयोग की सलाह से की जाती है |
- न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उम्मीदवार को 7 वर्षों तक वकालत करने का अनुभव होना चाहिए तथा अन्य 7 वर्षों तक भारत के राज्य क्षेत्र में न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए |
- District न्यायाधीशों की नियुक्ति सेवा शर्तों का निर्धारण तथा उन्हें पद से हटाने का कार्य राज्य के राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात किया जाएगा इन्हें हटाने के लिए महाभियोग जैसी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है |
जिला न्यायाधीश की शक्तियां – Powers of District Judge –
- न्यायाधीश के द्वारा दीवानी तथा आपराधिक दोनों मामलों पर विचार किया जाता है |
- अधीनस्थ न्यायालय से जिला न्यायालय में अपील का प्रावधान है पैसे के लेन-देन से जुड़े हुए विवाद तथा आपराधिक विवाद जिला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं |
- आपराधिक मामलों की सुनवाई आरंभ में जिला न्यायालय में होती है जिला न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील का प्रावधान है |
न्यायपालिका के समक्ष समस्याएं
- भारत में न्यायपालिका के समक्ष बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं | इसलिए न्याय देने में विलंब हो रहा है | उदाहरण के लिए वर्ष 1993 के मुंबई बम विस्फोट में शामिल व्यक्तियों को 23 वर्ष बाद सजा सुनाई गई |
- न्यायालय में विलंब अन्याय के समान होता है भारत में न्यायिक प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और औपचारिक है
- जिसमें आम लोग न्यायिक व्यवस्था से अपना अलगाव महसूस करते हैं न्याय प्राप्त करने का खर्च भी अत्यधिक है इसीलिए न्याय आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गया है |
- Judiciary में भ्रष्टाचार के मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं |
- वरिष्ठ वकील उद्योग न्यायाधीशों के बीच सांठगांठ से आम नागरिकों को वास्तविक न्याय नहीं मिल पा रहा है |
- न्यायपालिका में “कामकाज की भाषा आम लोगों की भाषा से अलग है“| इसीलिए यह न्याय प्राप्त करने में बाधा बन गई है |
- भारत में उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्णय अलग-अलग न्यायाधीशों के द्वारा अलग-अलग दिए जाते हैं जिसके कारण निर्णय देने में विलंब होता है तथा न्यायपालिका के समक्ष मामले लंबित होते हैं |
- भारत में आम जनता एवं न्यायाधीशों के बीच अनुपात अत्यधिक कम है जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में नए न्यायालयों की स्थापना नहीं हो सकती है |
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा–
- भारतीय संविधान में अखिल भारतीय सेवा का प्रावधान है (अनुच्छेद 312) संविधान में उल्लेखित है | कि न्यायपालिका के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा ऑल इंडिया मेडिकल सर्विस का गठन संसद कर सकती है |
- अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के माध्यम सेअधीनस्थ न्यायपालिका के लिए कुशल न्यायाधीश प्राप्त होंगे | तथा न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता आएगी और गुणवत्ता की स्थिति भी बेहतर होगी | परंतु इसके निर्माण में व्यावहारिक समस्याएं हैं |
- उच्च न्यायालय के अधीन अन्य न्यायालय राज्य सूची स्टेट लिस्ट के विषय हैं | तथा न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है | यह नियुक्ति नियमों पर आधारित हो सकती है |
- अधीनस्थ न्यायालयों की कार्यकुशलता तथा न्यायाधीशों की योग्यता में सुधार हेतु न्यायिक आयोग ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा गठित करने का सुझाव दिया है |
- जिला न्यायाधीश कोई नहीं होगा इस सेवा का गठन विशेष बहुमत से राज्यसभा द्वारा किया जा सकता है | परंतु अब तक भारतीय न्यायिक सेवा का गठन नहीं हो सका है |
- राज्य सरकारें इससे सहमत नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके अधिकारों में कटौती होगी अखिल भारतीय न्यायिक सेवा में भाषा भी विद्यमान है |
ग्राम न्याय पंचायत अधिनियम 2008 (Gram Nyay Panchayat Act 2008) –
- यह अधिनियम भारत मेंग्रामीण स्तर पर सत्य न्याय उपलब्ध कराने हेतु लाया गया है |
- यह प्रथम श्रेणी के न्यायाधीशों की व्यवस्था करता है इन्हें न्यायिक अधिकारी का नाम दिया गया है |
- अधिकारी उच्च न्यायालय की सलाह से राज्य द्वारा नियुक्त नियुक्त किए जाएंगे .|
- आपराधिक मामलों दीवानी मामलों तथा अन्य विवादों को निपटारा करेगा इसे अधिक से अधिकतम 2 वर्ष की सजा देने का अधिकार है |
जिला न्यायालय –
- भारत में उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों से नीचे के न्यायालयों को अधीनस्थ न्यायालय (सबोर्डिनेट कोर्ट) कहा जाता है कि न्यायालयों पर राज्य के उच्च न्यायालय हाई कोर्ट का नियंत्रण होता है |
- अधीनस्थ न्यायालय को जिला न्यायालय भी कहा जाता है |
- इसके द्वारा मूल अधिकारों की रक्षा नहीं की जाती ना ही इसके द्वारा संविधान की व्याख्या की जाती है |
- जिला न्यायालय के दो भागों – दीवानी न्यायालय तथा आपराधिक न्यायालय क्रिमिनल कोर्ट में बांटा गया है जिला न्यायालय ट्रायल कोर्ट होते हैं |
- जिला न्यायालय का प्रधान जिला जज होता है |
- यह दांडी मामलों में किसी भी व्यक्ति को मृत्यु दंड दे सकता है जिला न्यायाधीश जब आपराधिक मामलों पर विचार करता है |
- उसे सत्र न्यायाधीश सेशन जज कहा जाता है सिविल मामलों पर विचार करते समय वह जिला न्यायाधीश डिस्ट्रिक्ट जज कहलाता है |
- इस कारण इसी जिला एवं सत्र न्यायाधीश भी कहते हैं सामान्यतः प्रत्येक जिले में एक जिला न्यायालय होता है |
न्यायाधीशों की नियुक्ति –
- जिला न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय की सलाह से की जाती है |
- इसमें जिला न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय एवं राज्य लोक सेवा आयोग की सलाह से की जाती है |
- जिला न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए उम्मीदवार को “7 वर्षों तक वकालत” करने का अनुभव होना चाहिए |
- तथा अन्य 7 वर्षों तक भारत के राज्य क्षेत्र में न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए |
- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति सेवा शर्तों का निर्धारण तथा उन्हें पद से हटाने का कार्य |राज्य के राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात किया जाएगा
- |इन्हें हटाने के लिए महाभियोग जैसी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है |
जिला न्यायाधीश की शक्तियां – Powers of District Judge –
- जिला न्यायाधीश के द्वारा दीवानी तथा आपराधिक दोनों मामलों पर विचार किया जाता है |
- अधीनस्थ न्यायालय से जिला न्यायालय में अपील का प्रावधान है | पैसे के लेन-देन से जुड़े हुए विवाद तथा आपराधिक विवाद जिला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं |
- आपराधिक मामलों की सुनवाई आरंभ में जिला न्यायालय में होती है जिला न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपीलका प्रावधान है |
न्यायपालिका के समक्ष समस्याएं –
- भारत में न्यायपालिका के समक्ष बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं | इसलिए न्याय देने में विलंब हो रहा है –
“उदाहरण” के लिए वर्ष 1993 के मुंबई बम विस्फोट में शामिल व्यक्तियों को 23 वर्ष बाद सजा सुनाई गई | - |न्यायालय में विलंब अन्याय के समान होता है |
- भारत में न्यायिक प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और औपचारिक है |
- जिसमें आम लोग न्यायिक व्यवस्था से अपना अलगाव महसूस करते हैं | न्याय प्राप्त करने का खर्च भी अत्यधिक है | इसीलिए न्याय आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गया है |
- न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं |
- वरिष्ठ वकील उद्योग न्यायाधीशों के बीच सांठगांठ से आम नागरिकों को वास्तविक न्याय नहीं मिल पा रहा है |
- न्यायपालिका में कामकाज की भाषा आम लोगों की भाषा से अलग है इसीलिए यह न्याय प्राप्त करने में बाधा बन गई है |
- भारत में उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्णय अलग-अलग न्यायाधीशों के द्वारा अलग-अलग दिए जाते हैं | जिसके कारण निर्णय देने में विलंब होता है तथा न्यायपालिका के समक्ष मामले लंबित होते हैं |
- भारत में आम जनता एवं न्यायाधीशों के बीच अनुपात अत्यधिक कम है जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है | क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में नए न्यायालयों की स्थापना नहीं हो सकती है |
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा –
- भारतीय संविधान में अखिल भारतीय सेवा का प्रावधान है (अनुच्छेद 312) संविधान में उल्लेखित है | –
- कि न्यायपालिका के लिए “अखिल भारतीय न्यायिक सेवा ऑल इंडिया” मेडिकल सर्विस का गठन संसद कर सकती है |
- अखिल भारतीय न्यायिकसेवा के माध्यम से अधीनस्थ न्यायपालिका के लिए कुशल न्यायाधीश प्राप्त होंगे
- तथा न्यायाधीशों की नियुक्ति में पारदर्शिता आएगी और गुणवत्ता की स्थिति भी बेहतर होगी परंतु इसके निर्माण में व्यावहारिक समस्याएं हैं |
- उच्च न्यायालय के अधीन अन्य न्यायालय राज्य सूची स्टेट लिस्ट के विषय हैं |
- तथा न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है यह नियुक्ति नियमों पर आधारित हो सकती है |
- अधीनस्थ न्यायालयों की कार्यकुशलता तथा न्यायाधीशों की योग्यता में सुधार हेतु न्यायिक आयोग ने “अखिल भारतीय न्यायिक सेवा गठित करने का सुझाव दिया है” |
- जिला न्यायाधीश कोई नहीं होगा इस सेवा का गठन विशेष बहुमत से राज्यसभा द्वारा किया जा सकता है | परंतु अब तक भारतीय न्यायिक सेवा का गठन नहीं हो सका है |
6.राज्य सरकारें इससे सहमत नहीं है क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनके अधिकारों में कटौती होगी अखिल
भारतीय न्यायिक सेवा में भाषा भी विद्यमान है |
ग्राम न्याय पंचायत अधिनियम 2008 (Gram Nyay Panchayat Act 2008)
- भारत में ग्रामीण स्तर पर सत्य न्याय “उपलब्ध” कराने हेतु लाया गया है यह अधिनियम |
- यह प्रथम श्रेणी के न्यायाधीशों की व्यवस्था करता है |
- इन्हें न्यायिक अधिकारी का नाम दिया गया है अधिकारी “उच्च न्यायालय की सलाह से” राज्य द्वारा नियुक्त नियुक्त किए जाएंगे |
- यह न्यायालय आपराधिक मामलों दीवानी मामलों तथा अन्य विवादों को निपटारा करेगा इसे अधिक से अधिकतम 2 वर्ष की सजा देने का अधिकार है |
- यह अधिनियम घोषित आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं होता है अब तक 6 राज्यों ने इस अधिनियम के तहत कानूनों का निर्माण किया है |
- अधिनियम घोषित आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं होता है अब तक 6 राज्यों ने इस अधिनियम के तहत कानूनों का निर्माण किया है |