अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि हम दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त परमाणु अभ्यास करने पर किसी तरह की चर्चा नहीं कर रहे हैं। इस तरह से उन्होंने दक्षिण कोरिया के अपने समकक्ष यून सुक येओल द्वारा इस संबंध में दिए गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इसे लेकर बाइडन से एक मीडियाकर्मी ने सवाल पूछा था। वह सोमवार रात नववर्ष की छुट्टी मनाकर व्हाइट हाउस पहुंचे हैं।
उत्तर कोरिया ने मिसाइलों कर परीक्षण कर दक्षिण कोरिया की बढ़ाई चिंता
इससे पहले यून ने समाचार पत्र द चोसुन इल्बो को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि परमाणु हथियार अमेरिका के हैं, लेकिन योजना, सूचना साझाकरण, अभ्यास और प्रशिक्षण दक्षिण कोरिया और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से किया जाने चाहिए। हाल के दिनों में उत्तर कोरिया ने मिसाइलों कर परीक्षण कर दक्षिण कोरिया की चिंता को बढ़ा दिया है। दक्षिण कोरिया अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत हद तक अमेरिका पर ही निर्भर है। उत्तर कोरिया पर दबाव बनाने के लिए दक्षिण कोरिया अमेरिका के साथ संयुक्त परमाणु अभ्यास करना चाहता है। बाइडेन के बयान से फिलहाल ऐसा संभव नहीं लग रहा।
21वीं सदी को परिभाषित कर सकते हैं भारत-अमेरिका के संबंध : रो खन्ना
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा है कि भारत और अमेरिका के आपसी संबंध 21वीं सदी को परिभाषित कर सकते हैं। अमेरिका के दैनिक अखबार द न्यूयार्क टाइम्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उसके एक लेख में लिखा था कि यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया भारत से काफी उम्मीदें लगाई बैठी है। वह भारत को उभरते हुए देखना चाहती है। इस लेख का जिक्र करते हुए खन्ना ने एक ट्वीट किया।
इसमें उन्होंने कहा, दैनिक अखबार ने भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और विरोधाभासों के बारे में बहुत ही खूबसूरती से लिखा है। उसने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक बयान को उद्धृत कर लिखा कि पूरी वैश्विक व्यवस्था जो अभी भी बहुत ही गहराई से पश्चिमी देशों के इर्द-गिर्द घूमती है, यूक्रेन युद्ध के बाद यह अलग आकार लेगी। इस क्रम में बहुविकल्पी दुनिया का निर्माण होगा, जहां देश अपनी नीतियों, वरीयताओं और हितों का चयन करने में सक्ष्म होंगे