The Women’s Reservation Bill :अध्यक्ष। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने 28 सितंबर को महिला आरक्षण विधेयक 2023 (128वां संशोधन विधेयक) पर हस्ताक्षर किए, जो आने वाले एक ऐतिहासिक कानून का प्रतीक है।
महिला आरक्षण विधेयक, भारत में सांसदों की सीटों पर महिलाओं को आरक्षित करने का एक प्रयास है | जो समाज में महिलाओं की सांसदीय प्रतिष्ठा और भागीदारी को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता है। यह विधेयक एक पैम्फलेट के रूप में 1996 में पहली बार पेश किया गया था और उसके बाद से कई बार संशोधन किया गया है| लेकिन अब तक इसको कानून नहीं बनाया गया है। The Women’s Reservation Bill इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को राजनीतिक दलों में अधिक से अधिक स्थान प्रदान करना है, ताकि उनकी आवश्यकताओं और दृष्टिकोण को समझने में समर्थन मिले और समाज में उनका समावेश हो। यह विधेयक स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही चर्चा में है और महिलाओं को सांसदीय प्रवृत्ति में बढ़ोतरी के लिए एक माध्यम प्रदान करने का प्रयास करता है। The Women’s Reservation Bill इस विधेयक को लेकर विभिन्न तरह की रायें हैं और कुछ लोग इसे समर्थन करते हैं जबकि कुछ इसके खिलाफ हैं। उनका मुताबिक, इससे चुनावी प्रक्रिया में भूमिका और सत्ता के बांटवारे में परिवर्तन होगा और यह नई चुनौतियों को उत्पन्न कर सकता है। आरक्षण विधेयक एक महत्वपूर्ण और विवादित चरित्र वाला प्रस्ताव है जो महिलाओं को राजनीतिक प्रक्रियाओं में अधिक से अधिक शामिल होने का प्रयास करता है। The Women’s Reservation Bill
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल से ही प्रचलित है।
चूंकि तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिए विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी।
महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने के पहले प्रयास: The Women’s Reservation Bill
- 1996: पहला महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया।
- 1998 – 2003: सरकार ने 4 मौकों पर विधेयक पेश किया लेकिन असफल रही।
- 2009: विरोध के बीच सरकार ने विधेयक पेश किया।
- 2010: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक पारित किया और राज्यसभा ने इसे पारित किया।
- 2014: विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने की उम्मीद थी।
समाज और राजनीतिक दलों The Women’s Reservation Bill
- विचार-विमर्श का मौद्रिक सजग है। कुछ लोग इसे महिलाओं के समर्थन और उनके सामाजिक स्थान में सुधार का सशक्त उपाय मानते हैं, जबकि दूसरों का कहना है कि यह एक क्वोटा प्रणाली है जो वास्तविक समाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहित करने की जगह सिर्फ संविदानिकता की दिखावट करेगा।
- महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष और विपक्ष के बीच विस्तृत चर्चा होनी चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों और सोच-समर्थन के बीच एक सांविदानिक सहमति तैयार की जा सके।
- इस बड़े मुद्दे पर विचार करते हुए, हम देख सकते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक ने समाज को महिलाओं के भूमिका में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है, लेकिन इसकी व्यापक स्वीकृति और सफलता के लिए अभी भी कई परिचित और अज्ञात पहलुओं का मौजूद होना महत्वपूर्ण है।
- इस विधेयक के पक्षधरों का मुताबिक, महिलाओं को सांसदीय सीटों पर आरक्षण देने से समाज में महिलाओं के प्रति समर्थन और सम्मान में सुधार होगा। उनका कहना है कि ऐसा कदम लेकर महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी और सामाजिक असमानता को कम करने में मदद करेगा।
- हालांकि, इसके खिलाफ विरोध भी है। कुछ लोग इसे सिर्फ राजनीतिक खेल का एक हिस्सा मानते हैं और कहते हैं कि सीटों पर आरक्षण से केवल स्त्रीयों को लाभ होगा, जिससे समाज को विभाजित होने का खतरा है।
- यह तो स्पष्ट है कि महिला आरक्षण विधेयक ने समाज में बहुलता और सामाजिक समावेश की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का प्रयास किया है। हालांकि, इस पर विरोध भी है और इसकी चर्चा में जारी है कि कैसे इसे व्यावसायिक नैतिकता, समाजिक समानता और न्यायपूर्ण तरीके से लागू किया जा सकता है।
Women’s Reservation Bill 2023 The Women’s Reservation Bill
महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर सभी पक्षों के विचार समझने के लिए, विभिन्न सामाजिक समूह, संगठन, और विचारकों की बातचीत की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि समाज एक साथ आकर्षण बनाए रखे और महिलाओं के समर्थन और समाज में उनके सम्मान की दिशा में एकसमान मत बनाए रखें।
- महिला आरक्षण विधेयक को लेकर बातचीत में समर्थन और विरोध दोनों हैं। समर्थन के पक्ष से यह दावा किया जाता है |
- इससे महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में बेहतर स्थिति मिलेगी और उनकी आवज समाज में मजबूत होगी।
- इसके खिलाफ विरोध करने वाले कहते हैं कि ऐसा कदम असमानता को बढ़ावा देगा और यह सिर्फ एक निश्चित समूह को ही लाभ पहुंचाएगा।
- इस मुद्दे पर समाज को एक मत पर आने में समय लगेगा, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम सामाजिक समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ने के लिए समर्थन और सहयोग बनाए रखें।
- महिला आरक्षण विधेयक के माध्यम से हमें एक समर्थ और समावेशी समाज की दिशा में कदम से आगे बढ़ने का एक मौका है, जिससे हम समृद्धि, न्याय, और समाज में सभी की भलाइयों की प्राथमिकता बना सकते हैं।